Araytal Lazi Surah in Hindi | Surah Maun Ki Pdf | सूरह अल माउन हिंदी में

Surah Al-Maun Hindi Mein मक्की सूरह है और इसमें 7 आयतें हैं। कुरान में यह 30वें पारा में मौजूद है। इसमें एक रुकू है। कुरान में यह 107वें नंबर की सूरह है।

Surah Al-Maun, में अल्लाह ने नमाजियों के लिए तबाही भेजने का ऐलान किया है।

जब आप Araital Lazi Surah को उसके तर्जुमा के साथ पढेंगे तो आपको अच्छे से समझ आएगा कि अल्लाह ने ऐसा क्यूँ कहा है।

Araytal Lazi Surah in Hindi

आप इस पोस्ट  से Urdu Surah al-Ma'un PDF डाउनलोड कर सकते हैं। अगर आप उर्दू में सूरह अल-माउन पीडीएफ को पढ़ना कहते है तो यहाँ से उसे डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं।

साथ ही इसे दिल से सीखने की कोशिश करें।

Araytal Lazi Surah Hindi Mein Tarjuma Ke Saath

(सुरह अल माउन हिंदी में)


बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम बाला है।

1. अ-रऐतल्लज़ी युकज्जिबु बिद्दीन
क्या तुमने उसे देखा जो दीन को झुठलाता है?

2. फ़ज़ालिकल्लज़ी यदु अल्-यतीम
वही तो है जो अनाथ को धक्के देता है,

3. वला यहुज्जु अला तआमिल मिस्कीन
और मुहताज के खिलाने पर नहीं उकसाता

4. फवैलुल् लिल्-मुसल्लीन
अतः तबाही है उन नमाज़ियों के लिए,

5. अल्लज़ी-न हुम अन् सलातिहिम् साहून
जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल (असावधान) हैं,

6. अल्लज़ी-न हुम् युराऊ-न
जो दिखावे के लिए कार्य करते हैं,

7. व यम नऊनल माऊन
और साधारण बरतने की चीज़ भी किसी को नहीं देते


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Araytal Lazi Surah Hindi Image


Araytal Lazi Surah Hindi Image

Araytal Lazi Surah in Hindi Pdf Download


मेरे प्यारे दीनी भाइयों और बहनों जैसा की आपने ऊपर सूरह अल माउन को हिन्दी में तर्जुमा के साथ पढ़ा ही होगा। साथ ही साथ आपने Araital Lazi की Hindi Image भी देखी होंगी।

यहाँ हमने Araital lazi Surah Pdf Hindi Me उपलब्ध करायी है आप आसानी के साथ सूरह अल माउन की Pdf को डाउनलोड कर सकते है।

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Surah Araytal Lazi Surah in Roman English with Transliteration


Bismillaahir Rahmaanir Raheem
In the name of God, the Most Gracious, the Most Merciful

1. Ara 'aytal lazee yukazzibu biddeen
Have you seen the one who denies the Recompense?

2. Fazaalikal lazee yadu'ul-yateem
For that is the one who drives away the orphan

3. Wa la yahuddu 'alaa ta'aamil miskeen
And does not encourage the feeding of the poor.

4. Fa wailul-lil musalleen
So woe to those who pray

5. Allazeena hum 'an salaatihim saahoon
[But] who are heedless of their prayer -

6. Allazeena hum yuraaa'oon
Those who make show [of their deeds]

7. Wa yamna'oonal maa'oon
And withhold [simple] assistance.

Surah Araytal Lazi English Image


Ara Aital Lazi in English Pdf Download


मेरे प्यारे दीनी भाइयों और बहनों जैसा की आपने ऊपर सूरह अल माउन को इंग्लिश में तर्जुमा के साथ पढ़ा ही होगा। साथ ही साथ आपने Araital Lazi की English Image भी देखी होंगी।

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Surah Al-Maun in Arabic with Urdu Tarjuma


ببِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ‎
شروع اللہ کے نام سے جو بڑا مہربان نہایت رحم والا ہے

أَرَءَيْتَ ٱلَّذِى يُكَذِّبُ بِٱلدِّينِ ۝‎
﴾بھلا تم نے اس شخص کو دیکھا جو (روزِ) جزا کو جھٹلاتا ہے؟﴿۱

فَذَٰلِكَ ٱلَّذِى يَدُعُّ ٱلْيَتِيمَ ۝‎
﴾یہ وہی (بدبخت) ہے، جو یتیم کو دھکے دیتا ہے﴿۲

وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلْمِسْكِينِ ۝‎
﴾اور فقیر کو کھانا کھلانے کے لیے( لوگوں کو) ترغیب نہیں دیتا﴿۳

فَوَيْلٌ لِّلْمُصَلِّينَ ۝‎
﴾تو ایسے نمازیوں کی خرابی ہے﴿۴

ٱلَّذِينَ هُمْ عَن صَلَاتِهِمْ سَاهُونَ ۝‎
﴾جو نماز کی طرف سے غافل رہتے ہیں﴿۵

ٱلَّذِينَ هُمْ يُرَآءُونَ ۝‎
﴾جو ریا کاری کرتے ہیں﴿۶

وَيَمْنَعُونَ ٱلْمَاعُونَ ۝
﴾اور برتنے کی چیزیں عاریتہً نہیں دیتے﴿۷

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Surah Al-Maun Arabic Image

Surah Al-Maun in Arabic Pdf Download


मेरे प्यारे दीनी भाइयों और बहनों जैसा की आपने ऊपर सूरह अल माउन को अरबी में तर्जुमा के साथ पढ़ा ही होगा। साथ ही साथ आपने Araital Lazi की Arabic Image भी देखी होंगी।

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Surah Al-Maun Ki Mp3 or Audio File Download


मेरे प्यारे भाइयों और बहनों जैसा की आपने इस पोस्ट में सूरह अल माउन को सभी भाषाओं में टेक्स्ट और इमेजेज के जरिये पढ़ा ही होगा।

लेकिन अगर आप सूरह सुनना पसंद करते है, जिससे आपने दिल और दिमाग को आराम मिलता है।

उसके लिये हमने नीचे सुरह अरा अय्तल लजी की Mp3 फाइल डाउनलोड करने का लिंक दिया है। यहाँ से आप आसानी के साथ Araytal Lazi Ki Mp3 को डाउनलोड कर सकते हो।

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Surah Maun ki Tafseer(तफ़सीर व तशरीह सूरह माऊन)


इस सूरह में अल्लाह तआला ने 6 बातों की मज़म्मत की है उनको नापसंद फ़रमाया है

उन में से कुछ बातें तो आम काफिरों में पायी जाती थीं और कुछ बातें मुनाफिक़ीन में

Kafir Aur Munafiq “काफिर” और “मुनाफ़िक़” किसे कहते हैं?


(इस्लाम में जिन बातों पर ईमान लाना ज़रूरी है उन में से किसी एक बात के भी न मानने या इनकार करने वाले को काफिर कहते हैं)

(मुनाफ़िक़ उस को कहते थे जो ऊपर से अपने आप को मुसलमान बताते थे लेकिन अन्दर से वो मुसलमान नहीं थे और मुसलमानों से नफरत रखते थे)

पहली तीन आयतों में क्या फ़रमाया गया है?


पहली तीन आयतों में तीन बातें काफिरों से मुताल्लिक हैं

क़यामत का इनकार: - क्यूंकि कि मक्का के काफिर आम तौर से क़यामत का इनकार करते थे इसलिए तमाम काफ़िर को इस आयत में मुखातिब किया गया है

यतीमों को धक्का देना: - अबू सुफियान के बारे में ज़िक्र है कि वह हर हफ्ते एक ऊंट ज़बह किया करता था लेकिन एक यतीम ने उस से माँगा तो लाठी से उसकी खबर ली और यतीमों के साथ एक और बड़ा ज़ुल्म ये था कि विरासत में उन को कुछ नहीं दिया जाता था।

खाना खिलने की तरगीब न देना:- यानि की गरीबों को खिलाने पर दूसरों को न उभारना। ज़ाहिर सी बात है कि जिस शख्स के अन्दर नरमी नहीं होगी वो न तो खिलाने पर दूसरों को उभारेगा और न ही खाना खिलाएगा और फिर ये सब न करने का वो लोग बहाना ये बनाते थे कि “हम उन को कैसे खिलाएं अगर अल्लाह चाहता तो खुद उनको खिला देता” 

अगली चार आयतों में क्या फ़रमाया गया है?


आगे की चार आयतों में तीन बातों का ज़िक किया गया है जो कि मुनाफिकीन से मुताल्लिक हैं

नमाज़ से ग़फलत: - पहली ये की वो डर और शर्म में नमाज़ तो पढ़ लेते हैं लेकिन गफलत के साथ यानी कभी पढ़ी कभी नहीं पढ़ी कभी इतनी देर कर दी कि वक़्त निकल गया और पढ़ी तो इस तरह कि नमाज़ के अरकान को सही तरह से अदा नहीं किया

दिखावा: - यानी नमाज़ पढ़ी या ज़कात दी या कोई भी अच्छा अमल किया तो इससे उनका मकसद अमल नहीं सिर्फ उस अमल की नुमाइश और दिखावा होता था

माऊन को रोक लेना: - माऊन के बारे में हज़रत अब्दुल्ला बिन मसूद र.अ. और हज़रत अब्दुल्ला बिन अब्बास र.अ.का कौल है कि इस का मतलब वो घरेलु ज़रुरत की आम चीज़ें हैं जो एक दुसरे को इस्तेमाल के लिए दी जाती हैं

जैसे पानी, बर्तन, गिलास लेकिन हज़रत अली और मुफस्सिरीन ने इसका मतलब जकात बताया है यानी इस आयत में ज़कात न देने पर अल्लाह ने नाराज़गी फरमाई है।

ज़कात: - बताया है यानी इस आयत में ज़कात न देने पर अल्लाह ने नाराज़गी फरमाई है।

मुसलमानों के लिए नसीहत


अल्लाह तआला की ये हिदायात जो इन आयातों में मौजूद हैं सिर्फ मुनाफिकीन और काफिरों के लिए नहीं बल्कि मुसलमानों के लिए भी हैं और जो कमियां ऊपर बताई गयीं वो मुसलमानों में सिरे से होनी ही नहीं चाहिए।

लेकिन बदकिस्मती से वो चीज़ें आज मुसलमानों में कसरत से पाई जा रही हैं।

हालाँकि ये तमाम काम ऐसे लोगों के हैं जो आखिरत को नहीं मानते और दुनिया ही को उन्होंने सब कुछ समझ रखा है किसी सही मुसलमान से ऐसे कामों की उम्मीद नहीं की जा सकती।
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