Surah Muzammil in Hindi Pdf | Benefits of Surah Muzammil in Hindi

Surah Muzammil in Hindi कुरआन पाक की एक बेहतरीन सूरह है। कुरआन पाक में ये अल मुज़म्मिल  नाम से 29वें पारा में मौजूद है। यह सूरह मुज़म्मिल कुरआन पाक की 73वीं सूरह है

इसमें 20 आयत, 200 शब्द और 854 हर्फ़ मौजूद हैं

Surah Muzammil in Hindi


सूरह-अल मुज़म्मिल की फ़ज़ीलत को उसके तफ़सीर को समझकर सबसे अच्छी तरह से जाना जा सकता है।

हमने आपको इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए हिंदी,अंग्रेजी और उर्दू में सूरह मुज़म्मिल तर्जुमा उपलब्ध कराया है।

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Surah Muzammil in Hindi with Hindi Translation (सूरह मुज़म्मिल हिंदी में)


बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है

1. या अय्युहल् मुज़्ज़म्मिलु 
ऐ (मेरे) चादर लपेटे रसूल

2. कुमिल् लै-ल इल्ला क़लीला
रात को (नमाज़ के वास्ते) खड़े रहो मगर (पूरी रात नहीं) 

3. निस्फ़हू अविन्कुस् मिन्हु क़लीला 
थोड़ी रात या आधी रात या इससे भी कुछ कम कर दो या उससे कुछ बढ़ा दो

4. औ ज़िद् अ़लैहि व रत्तिलिल् कुरआन तरतीला
और क़ुरान को बाक़ायदा ठहर ठहर कर पढ़ा करो

5. इन्ना सनुल्की अ़लैक कौ़लन् सकी़ला
हम अनक़रीब तुम पर एक भारी हुक्म नाज़िल करेंगे इसमें शक़ नहीं कि रात को उठना

6. इन्न- नाशि-अतल्लैलि हि-य अशद्दु वत्अंव् व अक़्वमु की़ला
ख़ूब (नफ्स का) पामाल करना और बहुत ठिकाने से ज़िक्र का वक्त है

7. इन्न ल-क फ़िन्नहारि सब्हन् तवीला
दिन को तो तुम्हारे बहुत बड़े बड़े अशग़ाल हैं

8. वज़्कुरिस्म रब्बि-क व त-बत्तल् इलैहि तब्तीला
तो तुम अपने परवरदिगार के नाम का ज़िक्र करो और सबसे टूट कर उसी के हो रहो

9. रब्बुल् मश्रिकि वल् मग्रिबि ला इला-ह इल्ला हु-व फ़त्तख़िज़हु वकीला
(वही) मशरिक और मग़रिब का मालिक है उसके सिवा कोई माबूद नहीं तो तुम उसी को कारसाज़ बनाओ

10. वसबिर अ़ला मा यकूलू-न वह्जुरहुम् हज्रन् जमीला
और जो कुछ लोग बका करते हैं उस पर सब्र करो और उनसे बा उनवाने शाएस्ता अलग थलग रहो

11. व जर्नी वल् मुकज़्ज़इ बी-न उलिन्नअ्मति व मह्हिल्हुम् क़लीला
और मुझे उन झुठलाने वालों से जो दौलतमन्द हैं समझ लेने दो और उनको थोड़ी सी मोहलत दे दो

12. इन्न लदैना अन्कालंव् व जहीमा
बेशक हमारे पास बेड़ियाँ (भी) हैं और जलाने वाली आग (भी)

13. व तआ़मन् ज़ा गुस्सतिंव् व अ़ज़ाबन् अलीमा
और गले में फँसने वाला खाना (भी) और दुख देने वाला अज़ाब (भी)

14. यौ-म तर्जुफुल् अर्जु वल् जिबालु व कानतिल् जिबालु कसीबम् महीला
जिस दिन ज़मीन और पहाड़ लरज़ने लगेंगे और पहाड़ रेत के टीले से भुर भुरे हो जाएँगे

15. इन्ना अरसल्ना इलैकुम् रसूलन् शाहिदन् अ़लैकुम् कमा अरसल्ना इला फिरऔन रसूला
(ऐ मक्का वालों) हमने तुम्हारे पास (उसी तरह) एक रसूल (मोहम्मद) को भेजा जो तुम्हारे मामले में गवाही दे जिस तरह फिरऔन के पास एक रसूल (मूसा) को भेजा था

16. फ़-अ़सा फ़िरऔ़नुर-रसू-ल फ़ अख़ज्नाहु अख़्ज़ंव् वबीला
तो फिरऔन ने उस रसूल की नाफ़रमानी की तो हमने भी (उसकी सज़ा में) उसको बहुत सख्त पकड़ा

17. फ़कै-फ़ तत्तकू-न इन् कफ़र-तुम् यौमंय्यज् अ़लुल् विल्दा-न शीबा
तो अगर तुम भी न मानोगे तो उस दिन (के अज़ाब) से क्यों कर बचोगे जो बच्चों को बूढ़ा बना देगा

18. अस्समा-उ मुन्फ़तिरुम् बिही का-न वअ्दुहू मफ़अूला
जिस दिन आसमान फट पड़ेगा (ये) उसका वायदा पूरा होकर रहेगा

19. इन्न हाज़िही तज्कि-रतुन् फ़-मन् शाअत्त-ख़-ज़ इला रब्बिही सबीला
बेशक ये नसीहत है तो जो शख़्श चाहे अपने परवरदिगार की राह एख्तेयार करे


20. इन्न रब्ब-क यअ्लमु अन्न-क तकूमु अद्ना मिन् सुलु-सयिल्लैलि व निस्फ़हू व सुलु-सहू व ताइ फ़तुम् मिनल्लज़ी-न म-अ़-क वल्लाहु युक़द्दिरुल्लै-ल वन्नहा-र अ़लि-म अल्लन् तुह्सूहु फ़ता-ब अ़लैकुम् फ़क़रऊ मा त-यस्स-र मिनल् कुरआनि अ़लि-म अन् स-यकूनु मिन्कुम् मरज़ा व आख़रू-न यज्रिबू-न फिल्अर्ज़ि यब्तगू-न मिन् फ़ज़्लिल्लाहि व आखरू-न युक़ातिलू-न फ़ी सबीलिल्लाहि फ़क़्रऊ मा त-यस्स-र मिन्हु व अक़ीमुस्सला-त व आतुज्ज़का-त व अक्रिजुल्ला-ह क़रज़न् ह-सनन् व मा तुक़द्दिमु लि-अन्फुसिकुम् मिन् खै़रिन् तजिदूहु अिन्दल्लाहि हु-व खैरंव् व अअ्ज़-म अज्रन् वस्तग्फिरुल्ला-ह इन्नल्ला-ह ग़फूरुर रहीम

(ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार चाहता है कि तुम और तुम्हारे चन्द साथ के लोग (कभी) दो तिहाई रात के करीब और (कभी) आधी रात और (कभी) तिहाई रात (नमाज़ में) खड़े रहते हो और ख़ुदा ही रात और दिन का अच्छी तरह अन्दाज़ा कर सकता है उसे मालूम है कि तुम लोग उस पर पूरी तरह से हावी नहीं हो सकते तो उसने तुम पर मेहरबानी की तो जितना आसानी से हो सके उतना (नमाज़ में) क़ुरान पढ़ लिया करो

और वह जानता है कि अनक़रीब तुममें से बाज़ बीमार हो जाएँगे और बाज़ ख़ुदा के फ़ज़ल की तलाश में रूए ज़मीन पर सफर एख्तेयार करेंगे और कुछ लोग ख़ुदा की राह में जेहाद करेंगे तो जितना तुम आसानी से हो सके पढ़ लिया करो और नमाज़ पाबन्दी से पढ़ो और ज़कात देते रहो और ख़ुदा को कर्ज़े हसना दो और जो नेक अमल अपने वास्ते (ख़ुदा के सामने) पेश करोगे उसको ख़ुदा के हाँ बेहतर और सिले में बुर्ज़ुग तर पाओगे और ख़ुदा से मग़फेरत की दुआ माँगो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है


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Surah Muzammil in Arabic with urdu translation





﴿1﴾ يٰۤاَيُّهَا الۡمُزَّمِّلُۙ‏
ترجمہ : اے (محمدﷺ) جو کپڑے میں لپٹ رہے ہو

﴿2﴾ قُمِ الَّيۡلَ اِلَّا قَلِيۡلاًۙ‏
ترجمہ : رات کو قیام کیا کرو مگر تھوڑی سی رات

﴿3﴾ نِّصۡفَهٗۤ اَوِ انْقُصۡ مِنۡهُ قَلِيۡلاًۙ‏
(ترجمہ : (قیام) آدھی رات (کیا کرو

﴿4﴾ اَوۡ زِدۡ عَلَيۡهِ وَرَتِّلِ الۡقُرۡاٰنَ تَرۡتِيۡلاًؕ‏
ترجمہ : یا اس سے کچھ کم یا کچھ زیادہ اور قرآن کو ٹھہر ٹھہر کر پڑھا کرو

﴿5﴾ اِنَّا سَنُلۡقِىۡ عَلَيۡكَ قَوۡلاً ثَقِيۡلاً‏
ترجمہ : ہم عنقریب تم پر ایک بھاری فرمان نازل کریں گے

﴿6﴾ اِنَّ نَاشِئَةَ الَّيۡلِ هِىَ اَشَدُّ وَطۡـأً وَّاَقۡوَمُ قِيۡلاًؕ‏
ترجمہ : کچھ شک نہیں کہ رات کا اٹھنا (نفس بہیمی) کو سخت پامال کرتا ہے اور اس وقت ذکر بھی خوب درست ہوتا ہے

﴿7﴾ اِنَّ لَـكَ فِىۡ النَّهَارِ سَبۡحًا طَوِيۡلاًؕ‏
ترجمہ : دن کے وقت تو تمہیں اور بہت سے شغل ہوتے ہیں

﴿8﴾ وَاذۡكُرِ اسۡمَ رَبِّكَ وَتَبَتَّلۡ اِلَيۡهِ تَبۡتِيۡلاًؕ‏
ترجمہ : تو اپنے پروردگار کے نام کا ذکر کرو اور ہر طرف سے بےتعلق ہو کر اسی کی طرف متوجہ ہوجاؤ

﴿9﴾ رَبُّ الۡمَشۡرِقِ وَالۡمَغۡرِبِ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ فَاتَّخِذۡهُ وَكِيۡلاً‏
ترجمہ : مشرق اور مغرب کا مالک (ہے اور) اس کے سوا کوئی معبود نہیں تو اسی کو اپنا کارساز بناؤ

﴿10﴾ وَاصۡبِرۡ عَلٰى مَا يَقُوۡلُوۡنَ وَاهۡجُرۡهُمۡ هَجۡرًا جَمِيۡلاً‏
ترجمہ : اور جو جو (دل آزار) باتیں یہ لوگ کہتے ہیں ان کو سہتے رہو اور اچھے طریق سے ان سے کنارہ کش رہو

﴿11﴾ وَذَرۡنِىۡ وَالۡمُكَذِّبِيۡنَ اُولِىۡ النَّعۡمَةِ وَمَهِّلۡهُمۡ قَلِيۡلاً‏
ترجمہ : اور مجھے ان جھٹلانے والوں سے جو دولتمند ہیں سمجھ لینے دو اور ان کو تھوڑی سی مہلت دے دو

﴿12﴾ اِنَّ لَدَيۡنَاۤ اَنۡكَالاً وَّجَحِيۡمًاۙ‏
ترجمہ : کچھ شک نہیں کہ ہمارے پاس بیڑیاں ہیں اور بھڑکتی ہوئی آگ ہے

﴿13﴾ وَّطَعَامًا ذَا غُصَّةٍ وَّعَذَابًا اَلِيۡمًا‏
ترجمہ : اور گلوگیر کھانا ہے اور درد دینے والا عذاب (بھی) ہے

﴿14﴾ يَوۡمَ تَرۡجُفُ الۡاَرۡضُ وَالۡجِبَالُ وَكَانَتِ الۡجِبَالُ كَثِيۡبًا مَّهِيۡلاً‏
ترجمہ : جس دن زمین اور پہاڑ کانپنے لگیں اور پہاڑ ایسے بھر بھرے (گویا) ریت کے ٹیلے ہوجائیں

﴿15﴾ اِنَّاۤ اَرۡسَلۡنَاۤ اِلَيۡكُمۡ رَسُوۡلاً   ۙ شَاهِدًا عَلَيۡكُمۡ كَمَاۤ اَرۡسَلۡنَاۤ اِلٰى فِرۡعَوۡنَ رَسُوۡلاًؕ‏
ترجمہ : (اے اہل مکہ) جس طرح ہم نے فرعون کے پاس (موسیٰ کو) پیغمبر (بنا کر) بھیجا تھا (اسی طرح) تمہارے پاس بھی (محمدﷺ) رسول بھیجے ہیں جو تمہارے مقابلے میں گواہ ہوں گے

﴿16﴾ فَعَصٰى فِرۡعَوۡنُ الرَّسُوۡلَ فَاَخَذۡنٰهُ اَخۡذًا وَّبِيۡلاً‏
ترجمہ : سو فرعون نے (ہمارے) پیغمبر کا کہا نہ مانا تو ہم نے اس کو بڑے وبال میں پکڑ لیا

﴿17﴾ فَكَيۡفَ تَتَّقُوۡنَ اِنۡ كَفَرۡتُمۡ يَوۡمًا يَّجۡعَلُ الۡوِلۡدَانَ شِيۡبَا ۖ‏
ترجمہ : اگر تم بھی (ان پیغمبروں کو) نہ مانو گے تو اس دن سے کیونکر بچو گے جو بچّوں کو بوڑھا کر دے گا

﴿18﴾ اۨلسَّمَآءُ مُنۡفَطِرٌۢ بِهٖ‌ؕ كَانَ وَعۡدُهٗ مَفۡعُوۡلاً‏
ترجمہ : (اور) جس سے آسمان پھٹ جائے گا۔ یہ اس کا وعدہ (پورا) ہو کر رہے گا

﴿19﴾ اِنَّ هٰذِهٖ تَذۡكِرَةٌ   ‌ۚ فَمَنۡ شَآءَ اتَّخَذَ اِلٰى رَبِّهٖ سَبِيۡلاً‏
ترجمہ : یہ (قرآن) تو نصیحت ہے۔ سو جو چاہے اپنے پروردگار تک (پہنچنے کا) رستہ اختیار کرلے

﴿20﴾ اِنَّ رَبَّكَ يَعۡلَمُ اَنَّكَ تَقُوۡمُ اَدۡنٰى مِنۡ ثُلُثَىِ الَّيۡلِ وَ نِصۡفَهٗ وَثُلُثَهٗ وَطَآٮِٕفَةٌ مِّنَ الَّذِيۡنَ مَعَكَ‌ؕ وَاللّٰهُ يُقَدِّرُ الَّيۡلَ وَالنَّهَارَ‌ؕ عَلِمَ اَنۡ لَّنۡ تُحۡصُوۡهُ فَتَابَ عَلَيۡكُمۡ‌ فَاقۡرَءُوۡا مَا تَيَسَّرَ مِنَ الۡقُرۡاٰنِ‌ؕ عَلِمَ اَنۡ سَيَكُوۡنُ مِنۡكُمۡ مَّرۡضٰى‌ۙ وَاٰخَرُوۡنَ يَضۡرِبُوۡنَ فِىۡ الۡاَرۡضِ يَبۡتَغُوۡنَ مِنۡ فَضۡلِ اللّٰهِ‌ۙ وَاٰخَرُوۡنَ يُقَاتِلُوۡنَ فِىۡ سَبِيۡلِ اللّٰهِ  ۖ فَاقۡرَءُوۡا مَا تَيَسَّرَ مِنۡهُ‌ۙ وَاَقِيۡمُوۡا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ وَاَقۡرِضُوۡا اللّٰهَ قَرۡضًا حَسَنًا‌ؕ وَمَا تُقَدِّمُوۡا لِاَنۡفُسِكُمۡ مِّنۡ خَيۡرٍ تَجِدُوۡهُ عِنۡدَ اللّٰهِ هُوَ خَيۡرًا وَّاَعۡظَمَ اَجۡرًا‌ؕ وَاسۡتَغۡفِرُوۡا اللّٰهَ‌ؕ اِنَّ اللّٰهَ غَفُوۡرٌ رَّحِيۡمٌ‏
ترجمہ : تمہارا پروردگار خوب جانتا ہے کہ تم اور تمہارے ساتھ کے لوگ (کبھی) دو تہائی رات کے قریب اور (کبھی) آدھی رات اور (کبھی) تہائی رات قیام کیا کرتے ہو۔ اور خدا تو رات اور دن کا اندازہ رکھتا ہے۔ اس نے معلوم کیا کہ تم اس کو نباہ نہ سکو گے تو اس نے تم پر مہربانی کی۔ پس جتنا آسانی سے ہوسکے (اتنا) قرآن پڑھ لیا کرو۔ اس نے جانا کہ تم میں بعض بیمار بھی ہوتے ہیں اور بعض خدا کے فضل (یعنی معاش) کی تلاش میں ملک میں سفر کرتے ہیں اور بعض خدا کی راہ میں لڑتے ہیں۔ تو جتنا آسانی سے ہوسکے اتنا پڑھ لیا کرو۔ اور نماز پڑھتے رہو اور زکوٰة ادا کرتے رہو اور خدا کو نیک (اور خلوص نیت سے) قرض دیتے رہو۔ اور جو عمل نیک تم اپنے لئے آگے بھیجو گے اس کو خدا کے ہاں بہتر اور صلے میں بزرگ تر پاؤ گے۔ اور خدا سے بخشش مانگتے رہو۔ بےشک خدا بخشنے والا مہربان ہے

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Surah Muzammil Benefits (सूरह मुज़म्मिल पढ़ने के फायदे)


प्यारे दोस्तों जैसा की आपने ऊपर देख और पढ़ ही लिया होगा की हमने आपके लिए सूरह मुज़म्मिल को हिंदी,इंग्लिश और अरबी में उसके अनुवाद के साथ उपलब्ध कराया है.

यहाँ हम आपको सूरत मुज्ज़मिल पढ़ने के फायदे बयां कर रहे है इनको भी जरूर पढ़ें और इस सूरत से फायदा हासिल करें. 


जैसा कि आपको मालूम ही होगा कि सूरह या कुरान की हर आयत में इंसानों के लिए कई फायदे हैं। अनिवार्य रूप से, सूरह मुज़म्मिल के फायदे भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। सूरह मुज़म्मिल के महत्वपूर्ण फायदे निम्नलिखित हैं।

जो रोजाना सूरह मुज़म्मिल की तिलावत करता है उसे कभी भी किसी भी प्रकार की भयानक परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

यदि आप इस सूरह मुज़म्मिल की रोजाना तिलावत करते हैं, तो आप नफ्सानियत मसाइल से बच जाएंगे।

इस सूरह की तिलावत से आपको पाकीजगी मिलेगी।

Surah Muzammil ki fazilat

ईशा की नमाज़ के बाद या तहजुद में भी इस सूरह मुज़म्मिल की तिलावत करने से आपका दिल पाक रहेगा और यहाँ तक कि आप पाक तरीन हालत में भी मर जाएंगे।

यदि आप इस सूरह की तिलावत करते हैं और अल्लाह से कुछ मांगते हैं, तो इंशाअल्लाह, अल्लाह आपकी दुआ जरूर क़ुबूल करेगा।

इस सूरह की तिलावत आपको इस दुनिया में लोगों की गुलामी से बचाएगी।

यदि आप इस सूरह को कई बार पढ़ते हैं, तो आप अपने गलत कामों या घिनौने कामों के लिए अल्लाह ताला से माफ़ी मांगते हैं।

इस सूरह की तिलावत करना आपको इस दुनिया में फायदा नहीं देगा, इस हकीकत के बाबजूद, जब फैसले का दिन होगा तब ये आपके लिए बहुत अहम होगी।

Surah Muzammil Wazifa (सूरह मुज़म्मिल वज़ीफ़ा)


हज के लिए वज़ीफ़ा:
सूरह मुज़म्मिल वज़ीफ़ा आम तौर पर आपकी सख्त ज़रूरत या हज की कामयाबियों के लिए किया जाता है। जैसे, यदि आप बेरोजगारी के मुद्दे का सामना कर रहे हैं या आपके पास कोई सरगर्मी नहीं है, तो उस समय इस सूरह मुज़म्मिल को रोजाना 3-7 बार पढ़ें और अल्लाह से दुआ करें। इंशाअल्लाह, अल्लाह आपकी सभी दुआओं को पूरा करेगा।


माफ़ी मांगने के लिए:
यदि गुरुवार की रात को इस सूरह को कई बार पढ़ें, तो अल्लाह आपको 100 खूबियाँ देगा और आपके गलत कामों को माफ कर देगा।

रिज़्क़ बढ़ाने के लिए:
सूरह मुज़म्मिल की तिलावत आपको अल्लाह बरक़त से गुस्ल कराएगा। अपने रिज़्क़ को बढ़ाने के लिए, हर दिन सूरह मुज़म्मिल की तिलावत करें और समय बीतने के साथ, आप अपने लिए अल्लाह की अनगिनत बरकतों को महसूस करेंगे।

कर्ज चुकाने के लिए:
ऐसे कई लोग हैं जो जरूरत के समय भारी कर्ज चुकाने को लेकर परेशान रहते हैं और अब उनके पास लौटाने के लिए कुछ नहीं है। सूरह मुज़म्मिल को पूरे भरोसे के साथ पढ़ें और अल्लाह से दुआ करें। आपको यकीनन अज्र मिलेगा।

Surah Muzammil Mp3 or Audio Download


सूरह मुज़म्मिल को पढ़ने के इनाम और फायदे हमारी सोच से परे हैं, लेकिन इसे सुनने से आपका तनाव दूर हो सकता है और आपकी रूह को सुकून मिल सकता है। यहां से आप Surah Muzammil Mp3 डाउनलोड सकते है।


Surah Muzammil Youtube Video with Translation






Some Questions and Answers about Surah Muzammil


What is Surah Muzammil good for?
{सूरह मुज़म्मिल किसके लिए अच्छा है?}

Ans. सूरह अल मुजम्मिल कुरान के सबसे फायदेमंद सूरह में से एक है। जो व्यक्ति प्रतिदिन सूरह अल मुजम्मिल की तिलावत करता है, इंशाअल्लाह वह बुरे कामों से और लोगों का गुलाम होने से सुरक्षित रहेगा।

What is the translation of Muzammil?
{मुज़म्मिल का हिंदी मतलब क्या है?}

Ans. मुज़म्मिल लड़कों और लड़कियों के लिए एक सीधा कुरानिक नाम है जिसका अर्थ है "उसके कपड़े में लपेटा हुआ", या "कपड़ों में लपेटा हुआ", और कुरान इस शब्द का उपयोग पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैह बसल्लम, शांति और उस पर अल्लाह के रहमत को बयान करने के लिए करता है। क़ुरान के 73वें अध्याय की पहली आयत: ऐ तू जो अपने कपड़े ओढ़े हुए है!

In which para is Surah Muzammil?
{सूरह मुज़म्मिल किस पारा में है?}

Ans. कुरआन पाक में ये अल मुज़म्मिल  नाम से 29वें पारा में मौजूद है

How many ayats in Surah Muzammil?
{सूरह मुज़म्मिल में कितने आयत हैं?}

Ans. सूरह मुज़म्मिल में 20 आयात हैं


मेरे प्यारे भाइयों और बहनों अल्लाह ने हमे कुरआन करीम का तोहफा दिया तो हमे इसे ज्यादा से ज्यादा पढ़ना चाहिए. आपसे गुज़ारिश है कि आप इसे आगे भेजें


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